(जगन्नाथ मंदिर में अखंड हरी कीर्तन का आयोजन, प्रभात दास की रिपोर्ट)
चरचा कोरिया छत्तीसगढ़। कोयलांचल क्षेत्र का धार्मिक केंद्र माने जाने वाला उत्कल समाज का श्री जगन्नाथ मंदिर, चरचा कॉलरी इन दिनों भक्ति और श्रद्धा का केंद्र बना हे। शुक्ल पक्ष एकादशी एवं तुलसी विवाह के पावन अवसर पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी मंदिर में स्थापना दिवस 1 नवंबर को कलश पूजन के स्थापना दिवस, 2 नवंबर 24 घंटे का अखंड हरी कीर्तन आयोजित किया गया। इस अवसर पर पूरे क्षेत्र में धार्मिक वातावरण और उत्साह का माहौल देखने को मिला।
महाप्रबंधक बी.एन. झा धर्मपत्नीने पूनम झा नेकीर्तन का शुभारंभ किया
कार्यक्रम का शुभारंभ 1 नवंबर को विधिवत कलश स्थापनासे किया गया। इसके अगले दिन 2 नवंबर की सुबह 7:30 बजे एस,ई,सी,एल बैकुंठपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक बी.एन. झा एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पूनम झा ने मंदिर पहुंचकर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा माता की पूजा-अर्चना की।पूजन के उपरांत उन्होंने अखंड हरी कीर्तन का शुभारंभ किया, जो निरंतर 24 घंटे तक चलता रहा। हरिकीर्तन के दौरान पूरा मंदिर परिसर “हरे राम हरे कृष्ण” और “जय जगन्नाथ” के भजन व कीर्तन से गूंज उठा।
24 घंटे निरंतर चला भक्ति रस का प्रवाह
अखंड हरी कीर्तन के दौरान श्रद्धालु बारी-बारी से भजन प्रस्तुत करते रहे। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों सभी ने एक साथ बैठकर हरि नाम का संकीर्तन किया। पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा। रातभर मंदिर परिसर में दीपों की रौशनी और भक्ति संगीत का संगम देखने को मिला। अगले दिन 3 नवंबर की सुबह 10 बजे यह अखंड कीर्तन कलश विसर्जन से संपन्न हुआ।
भंडारे में उमड़ा जनसैलाब
कीर्तन के दौरान मंदिर प्रांगण में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। दोपहर 1 बजे से शुरू हुआ यह भंडारा रात 12बजे तक चला। भक्तों ने भगवान के प्रसाद स्वरूप भोग ग्रहण किया। स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे। अनुमानतः हजारों श्रद्धालुओं ने भंडारे में भोग ग्रहण किया
इस अवसर पर उत्कल समाज के सदस्यों ने महाप्रबंधक श्री बी.एन. झा धर्मपत्नी पूनम झा को साल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मान नीत किया और उनके मार्गदर्शन में निरंतर हो रहे धार्मिक कार्यों की सराहना की।
समाज के सदस्यों का रहा विशेष योगदान
इस भव्य आयोजन की सफलता में जगन्नाथ मंदिर के पुजारी श्री रामनरेश मिश्रा एवं अविनाश पंडित सहित कमेटी के सदस्य कांग्रेस पोलाई, दुर्योधन खूंटियां, अभिमन्यु मुदुली, संतोष नाहक, महेंद्र प्रधान, कामेश्वर प्रधान, बलराम प्रधान, अभी प्रधान, बाबू नायक, दुर्योधन पोलाई, संतोष राव, विष्णु गौड़, अंकित अग्रवाल, प्रभात दास, संतोष, गणेश, वुल्ला,बावला, हिना और उत्कल समाज के सभी सदस्य प्रमुख रूप से शामिल रहे। विशेष कर जो कलरी कामगार सेवा निवृत हो गए थे सभी कार्यकर्ता कमेटी के पुराने सदस्य उड़ीसा आकर ,एकादशी पर्व पर शामिल हुए
तुलसी विवाह के अवसर पर सजी आस्था की सजावट जगन्नाथ मंदिर में
एकादशी और तुलसी विवाह को लेकर पूरे क्षेत्र में धार्मिक उत्साह चरम पर रहा। महिलाओं ने अपने घरों में पारंपरिक तरीके से तुलसी विवाह की तैयारी की। शनिवार को शाम के समय तुलसी पौधे की विधिवत पूजा की गई। तुलसी माता को चुनरी, गन्ना, फल, पुष्प और दीप अर्पित किए गए। भक्तों ने इस अवसर पर गीत-संगीत और पारंपरिक नृत्य भी किया।
तुलसी विवाह और कार्तिक माह का महत्व
हिंदू धर्म में कार्तिक माह को अत्यंत पवित्र माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। उनके जागने के साथ ही सभी शुभ, मांगलिक और धार्मिक कार्यों की शुरुआत होती है।इसी दिन तुलसी माता और भगवान शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह संपन्न करता है, उसे कन्यादान के समान फल प्राप्त होता है और उसके मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। तुलसी और शालिग्राम के विवाह से परिवार में सुख-शांति, वैवाहिक जीवन में समरसता और समृद्धि का वास होता है।
आस्था और परंपरा का संगम
जगन्नाथ मंदिर चरचा कॉलरी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम अब पूरे क्षेत्र की पहचान बन गया है। स्थानीय कामगारों, नगर पालिका शिवपुर चरचा के कर्मचारियों एवं आसपास के ग्रामीणों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभाकर आयोजन को सफल बनाया।
इस भक्ति पर्व ने जहां श्रद्धालुओं में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया, वहीं समाज में एकता और सद्भाव का संदेश भी दिया।
👉 चरचा काॅलरी का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज को जोड़ने वाली सांस्कृतिक परंपरा का भी जीता-जागता उदाहरण बन चुका है।













