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फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने के आरोपी की जांच की मांग

(छत्तीसगढ़ से प्रभात दास की रिपोर्ट)

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने का आरोप, थाने और डीईओ से की शिकायत, जांच आगे जारी है, चरचा कोरिया छत्तीसगढ़,

सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग ने भी शिक्षक को नोटिस जारी कर जवाब सहित दस्तावेज मांगा है। आरोपी महिला शिक्षक पर गंभीर आरोप की जांच कर सेवा समाप्ति, FIR दर्ज करने और पूरा वेतन वसूलने की उठी मांग।

कोरिया जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग से शिकायत करते हुए एक महिला सहायक शिक्षक के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति प्राप्त कर शासकीय सेवा करने का गंभीर आरोप लगाया है। संबंधित ने मांग की है कि प्रकरण की विस्तृत जांच कर दोष सिद्ध होने पर सेवा समाप्ति के साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार के फर्जी प्रकरणों पर रोक लगाई जा सके।

संबंधित द्वारा प्रस्तुत आवेदन में उल्लेख किया गया है कि महिला की नियुक्ति जनपद पंचायत बैकुण्ठपुर अंतर्गत विज्ञान विषय के सहायक शिक्षक के रूप में की गई थी। आवेदन में कहा गया है कि नियुक्ति के समय महिला ने जो जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था, वह कार्यालय तहसीलदार/नायब तहसीलदार बैकुण्ठपुर द्वारा जारी अस्थायी प्रमाण पत्र था, जिसकी वैधता केवल 6 माह की होती है। इस प्रकार नियुक्ति 2009 तक आते-आते उक्त प्रमाण पत्र की वैधता समाप्त हो चुकी थी। इसके बावजूद संबंधित अधिकारियों द्वारा प्रमाण पत्र का सत्यापन किए बिना नियुक्ति दी गई, जो पूर्ण रूप से अवैधानिक है।

जाति का उल्लेख संदिग्ध बताया गया

संबंधित ने अपने आवेदन में यह भी कहा है कि महिला ने स्वयं को एक जनजाति का सदस्य बताकर नियुक्ति प्राप्त की, जबकि 1950 के पूर्व बैकुण्ठपुर विकासखण्ड में उस जाति का उल्लेख नहीं मिलता। इस स्थिति में यह प्रमाण पत्र संदिग्ध है और इसकी सत्यता की जांच आवश्यक है।

एमपी से स्थायी प्रमाण पत्र-

आवेदन में यह भी आरोप लगाया गया है कि महिला ने नियुक्ति के बाद अस्थाई बैकुंठपुर से और स्थायी जाति बैतूल एमपी से जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया, जो पूरी तरह से संदिग्ध है, इस पर विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से 15 वर्षों से शासकीय सेवा का लाभ उठा रही हैं। आवेदक ने इसे प्रशासनिक लापरवाही और जाति प्रमाण पत्र नियमों का खुला उल्लंघन बताया है।

विद्यालय में अनियमितता के आरोप भी लगाए-

संबंधित ने महिला शिक्षिका पर यह भी आरोप लगाया है कि वे विद्यालय में समय पर उपस्थित नहीं होतीं, और कई बार स्कूली बच्चों से निजी कार्य करवाती हैं, जिससे शिक्षण व्यवस्था प्रभावित होती है। ग्रामीणों द्वारा भी उनके विरुद्ध कई बार मौखिक शिकायतें की जा चुकी हैं।

कड़ी कार्रवाई की मांग की

आवेदक ने जिला शिक्षा अधिकारी एवं कलेक्टर कोरिया , आजक थाने से मांग की है कि फर्जी प्रमाण पत्र की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, और यदि आरोप सही पाए जाएं, तो संबंधित शिक्षिका की सेवा समाप्त कर उनके विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की जाए। संबंधित ने कहा कि इस तरह के फर्जी प्रमाण पत्र से शासकीय नौकरी प्राप्त करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि अन्य पात्र अभ्यर्थियों के अधिकारों का हनन न हो।

प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई की उम्मीद

आवेदक ने यह मांग किया है कि प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई करें। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस प्रकरण को गंभीरता से लेने की बात कही है। उनका कहना है कि यदि यह शिकायत सत्य पाई जाती है, तो यह शिक्षा व्यवस्था और आरक्षण नीति दोनों के प्रति धोखा माना जाएगा।

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